🙏 आज का सुविचार
" आत्मबल "
🌹 एक कमजोर नीव पर ऊँचा भवन खड़ा नहीं किया जा सकता ठीक इसी प्रकार यदि विचारो में कमजोरी हो यानि उदासीनता अथवा नैराश्य हो तो जीवन की गति कभी भी श्रेष्ठ एवं उच्च लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकती है !
🌹 उदासीनता अथवा निराशा का अर्थ ही लड़ने से पहले अपनी हार स्वीकार कर लेना है और एक बात याद रख लेना निराश जीवन मे कभी भी ख़ुशी एवं प्रसन्नता का प्रवेश नही हो सकता और जिस जीवन में ख़ुशी , जोश अथवा उल्लास ही नहीं उसका विकास अथवा उन्नति कैसे संभव हो सकती है ?
🌹जीवन रूपी भवन में उदासीनता और नैराश्य ऐसी दो कच्ची ईटें हैं, जो कभी भी इसे ढहने अथवा तबाह करने के लिए पर्याप्त हैं। अतः "आत्मबल" रूपी ईट जितनी मजबूत होगी जीवन रूपी भवन को भी उतनी ही भव्यता व उच्चता प्रदान की जा सकेगी।
🌻🌷🌻जय प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी की 🌻🌷🌻
🌷🌻🌷 माता ऋद्धि सिद्धि सदा सहाय 🌷🌻🌷
संपादन : नवीन कुमार सचदेव
मुख्य संचालक : देवलोक अग्निहोत्र
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