पशु पक्षि भी जीव आत्माएं है,,,,
( हम भी अपने पापों के कारण कभी इस अधम योनि में जा सकते हैं l उस समय बेजुबान एवं बेसहारा होंगे तब दुसरों के प्रति किये गये नेक कर्म /हमारे पुण्य कर्म ही हमारी रक्षा करेंगे l)
जानवरों को कैद में रखने से उन्हें उनका प्राकृतिक जीवन जीने का मौका नहीं मिलता है। चिड़ियाघर, मत्स्यालय, सर्कस, थीम पार्क, विदेशी पालतू जानवर ये सभी ऐसी जगहे हैं जहां जानवर मनुष्य जाति की खुशी के लिए अप्राकृतिक परिस्थितियों में रखे जाते हैं। कैद, जानवरों के लिए नरक का जीवन होता है और जंगली जानवरों की प्राकृतिक प्रवृत्ति को दबा देता है। हमारे लिए जो मनोरंजन है वो उन मासूम जानवरों के लिए बेहद पीड़ा दायक होता है। जानवर इस वजह से अकेलेपन और मानसिक परेशानी से गुजरते है। दैनिक तनाव और उत्तेजना की कमी ये अक्सर पशुओं को असामान्य और आत्म-विनाशकारी व्यवहार की ओर ले जाती है। जानवरों को इंसानों के हस्तक्षेप के बिना सामान्य जीवन जीने की अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसी गतिविधियों में भाग न लें जो जानवरों को कैद कर उनका शोषण करती हैं।
#पुण्य कमाइये पाप नहीं l अपने प्रारब्ध में सौभाग्य को संचित करने के लिए करुणामय व्यवहार करें l
विशेष,,,, #क्रूरता" जघन्य पाप है जो तामसिक प्रवृत्ति के लोगों में पायी जाती है l इस पाप के कारण परलोक में अधम योनि प्राप्त होती है और मृत्यु के समय अच्छी गति के स्थान पर "दुर्गति" को भी प्राप्त हो सकते हैं l अतः शुद्ध सात्विक आहार खाये और प्रभु कृपा के आकांक्षी बने l