रोग नहीं छोड़ रहे पीछा तो करें ये उपाय, शीघ्र होगा लाभ
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जब व्यक्ति बीमारी से परेशान होता है तो वह अलग-अलग डॉक्टरों से सलाह लेता है परन्तु फिर भी उसे लाभ नहीं होता। बीमार होने पर रोगी और घर के अन्य सदस्य मानसिक रूप से चिंता और अशांति का अनुभव करने लगते हैं। ज्योतिष में कुछ ऐसे सरल उपायों का उल्लेख किया गया है, जिनको अपनाने से शीघ्र लाभ होगा। जानिए, निरोग रहने के कुछ उपाय-
* हर पूर्णिमा को शिवालय जाकर भोलेनाथ से अपने परिवार को निरोग रखने की प्रार्थना करें। उसके बाद गरीबों में फल, मिठाई और नकद दान करें।
* पीपल के वृक्ष की सेवा करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन सुबह स्नानादि कार्यों से निवृत होकर नियमित रूप से पीपल के वृक्ष पर मीठा जल अर्पित करें और उसकी जड़ को छूकर अपने माथे से लगाएं। पुरुष पीपल की 7 परिक्रमा करें, महिलाएं न करें। इसके बाद रोग को दूर करने की प्रार्थना करें, शीघ्र लाभ होगा।
* लंबे समय से रोग से ग्रस्त लोगों को हर माह कम से कम एक बार अपने सार्थ्यनुसार किसी अस्पताल में जाकर दवा और फलों का वितरण करना चाहिए। इससे रोगी और उसके पारिवारिक सदस्य निरोग रहेंगे।
* बीमार व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां खिलाएं। इससे नजर दोष दूर होगा और दवा भी शीघ्र असर करेगी।
* जटा वाले सात नारियल लेकर शुक्ल पक्ष को सोमवार के दिन ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए नदी में प्रवाहित करें। इससे रोग और दरिद्रता का नाश होगा।
* जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर रोगी को पीने के लिए दें। इससे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होगा।
* रोगी व्यक्ति को मंगलवार और शनिवार किसी भी दिन हनुमान जी की प्रतिमा से सिंदूर लेकर लगाएं। ऐसा करने से रोगी का दिल मजबूत होगा और वह शीघ्र ठीक होगा।
* प्रतिदिन सुबह अशोक के वृक्ष की ताजा तीन पत्तियां चबाने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
* बीमार व्यक्ति का रोग ठीक न हो रहा हो तो उसके तकिए के नीचे सहदेई अैर पीपल की जड़ रखें। इससे बीमारी शीघ्र ठीक हो जाएगी।
रोग नहीं छोड़ रहे पीछा तो करें ये उपाय, शीघ्र होगा लाभ
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हमेशा ध्यान में रखिये ---
" आप एक शुद्ध चेतना है यानि स्व ऊर्जा से प्रकाशित आत्मा ! माया (अज्ञान ) ने आपकी आत्मा के शुद्ध स्वरुप को छीन रखा है ! अतः माया ( अज्ञान ) से पीछा छुडाइये और शुद्ध चेतना को प्राप्त कर परमानन्द का सुख भोगिए !
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धर्मशील व्यक्ति ,,,,,,,
जिमि सरिता सागर महँ जाहीं l
जद्यपि ताहि कामना नाहीं ll
तिमि सुख सम्पति बिनहिं बुलाये l
धर्मशील पहँ जाइ सुहाये ll
जैसे सरिता (नदी ) उबड-खाबड़, पथरीले स्थानों को पार करते हुए पूर्ण रूपेण निष्काम भाव से समुद्र में जा मिलती है, उसी प्रकार धर्म-रथ पर आसीन मनुष्य के पास उसके न चाहते हुए भी समस्त सुख-सम्पत्ति, रिद्धियाँ-सिद्धियाँ स्वत: आ जाती हैं, सत्य तो यह है कि वे उसकी दासिता ग्रहण करने के लिए लालायित रहती है !
🌹मानवीय गुणों में एक प्रमुख गुण है "क्षमा" और क्षमा जिस भी मनुष्य के अन्दर है वो किसी वीर से कम नही है। तभी तो कहा गया है कि- " क्षमा वीरस्य भूषणं और क्षमा वाणीस्य भूषणं " क्षमा साहसी लोगों का आभूषण है और क्षमा वाणी का भी आभूषण है। यद्यपि किसी को दंडित करना या डाँटना आपके वाहुबल को दर्शाता है।
🌹मगर शास्त्र का वचन है कि बलवान वो नहीं जो किसी को दण्ड देने की सामर्थ्य रखता हो अपितु बलवान वो है जो किसी को क्षमा करने की सामर्थ्य रखता हो। अगर आप किसी को क्षमा करने का साहस रखते हैं तो सच मानिये कि आप एक शक्तिशाली सम्पदा के धनी हैं और इसी कारण आप सबके प्रिय बनते हो।
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,,,,सच्चे संतो की वाणी से अमृत बरसता है , आवश्यकता है ,,,उसे आचरण में उतारने की ....
जय गौमाता की 🙏👏🌹🌲🌿🌹
" जीवन का सत्य आत्मिक कल्याण है ना की भौतिक सुख !"
"एक माटी का दिया सारी रात अंधियारे से लड़ता है,
तू तो प्रभु का दिया है फिर किस बात से डरता है..."
हे मानव तू उठ और सागर (प्रभु ) में विलीन होने के लिए पुरुषार्थ कर ,,,,,,
जिसका मन लग गया भगवान मे उसका दीया भी जलेगा तुफान में
तन का दीपक मन की बाती जगमग ज्योत जले दिन राती।
कैसा खेल रचाया भगवान ने 🙏हरि ॐ नमो नारायणा 🙏
तुम्ह कृपाल जा पर अनुकूला। ताहि न ब्याप त्रिबिध भव सूला॥
प्रभु,आप जिस पर अनुकूल होते हैं, उसे तीनों प्रकार के भवशूल (आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक ताप) नहीं व्यापते...॥जय श्री राम॥
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"सत्य वचन में प्रीति करले,सत्य वचन प्रभु वास।
सत्य के साथ प्रभु चलते हैं, सत्य चले प्रभु साथ।। "
शरीर परमात्मा का दिया हुआ उपहार है ! चाहो तो इससे " विभूतिया " (अच्छाइयां / पुण्य इत्यादि ) अर्जित करलो चाहे घोरतम " दुर्गति " ( बुराइया / पाप ) इत्यादि !
परोपकारी बनो एवं प्रभु का सानिध्य प्राप्त करो !
प्रभु हर जीव में चेतना रूप में विद्यमान है अतः प्राणियों से प्रेम करो !
शाकाहार अपनाओ , करुणा को चुनो !
जय गौमाता की🚩☘️🚩☘️🚩