श्रावण मास में बेल-वृक्ष पूजा कैसे करें: विधि और महत्व
आध्यात्मिकता में एक उच्च महत्व रखने वाली बेल-वृक्ष पूजा का सबसे सही तरीका
श्रावण मास में बेल-वृक्ष पूजा कैसे करें
वृक्षों का मानव समृद्धि में अत्यधिक महत्व है, और आध्यात्मिकता में भी वृक्षों को पूजा जाता है। वैदिक संस्कृति में बेल-वृक्ष को आदिकवि वाल्मीकि द्वारा 'कल्पवृक्ष' कहा गया है और इसे आध्यात्मिकता में एक महत्वपूर्ण पूजा विधि के रूप में स्वीकारा गया है। विशेष रूप से श्रावण मास में बेल-वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस मास में इस पूजा का मतलब है कि हम वनस्पति जगत के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करते हैं और अपने आत्मा को आध्यात्मिक ऊर्जा से पूरी करते हैं।
बेल-वृक्ष पूजा की विधि:
उपकरण तैयार करें: बेल-वृक्ष पूजा की शुरुआत उपकरणों की तैयारी से होती है। पूजा के लिए एक थाली, फूल, दीपक, गंध, अगरबत्ती, फल, नीर, रोली, मोली, आदि की आवश्यकता होती है।
शुद्धि करें: पूजा से पहले अपने शरीर और मन की शुद्धि करें। नियमित स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें।
वृक्ष की पूजा: बेल-वृक्ष के पास जाकर उसके नीचे आसन स्थापित करें। अपनी दृष्टि को वृक्ष के मुख की ओर दिशा करें।
पूजा की प्रारंभिक विधियाँ: बेल-वृक्ष के सामने थाली पर फूल रखें और उन्हें गंध से चढ़ाएं। फिर दीपक को जल से जलाएं और अगरबत्ती को भी जलाएं।
मन्त्र जप: बेल-वृक्ष की पूजा के दौरान मन्त्रों का जाप करें। "ॐ बेलायै नमः" या "ॐ वृक्षाय नमः" जैसे मन्त्रों का जप करें।
फल और पुष्प पूजा: बेल-वृक्ष के पास रखे गए फलों और पुष्पों को उसकी पूजा के लिए उपयोग करें। फूलों को वृक्ष पर चढ़ाएं और फलों को वृक्ष के नीचे रखें।
नीराजन करें: फलों और पुष्पों की पूजा के बाद वृक्ष को नीर से अर्पित करें।
आरती और प्रसाद: वृक्ष की पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें। आरती के बाद मन की शांति के साथ ध्यान करें और आशीर्वाद मांगें।
श्रावण मास में बेल-वृक्ष पूजा का महत्व:
बेल-वृक्ष पूजा का महत्व आध्यात्मिक और पर्यावरणिक दोनों ही प्रकार से होता है। श्रावण मास में इस पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस मास में पृथ्वी पर वर्षा होती है और यह वर्षा पेड़-पौधों के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। बेल-वृक्ष पूजा के द्वारा हम इस आवश्यकता को समझते हैं और वनस्पतियों के प्रति हमारी समर्पण भावना को प्रकट करते हैं।
इसके साथ ही, बेल-वृक्ष पूजा से हम आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी कदम बढ़ाते हैं। वृक्ष हमें अपने निष्कलंक विकास का संदेश देते हैं, क्योंकि वे बिना किसी भी आकार में बदले जाते हैं और अपने सात्त्विक गुणों का परिचय देते हैं।