राजा दशरथ पुकारते थे "राम" मां कौशल्या पुकारती थीं "रामभद्र" रानी कैकयी पुकारती थीं "रामचंद्र" ऋषि वशिष्ठ पुकारते थे "वेदस्" अन्य मुनि पुकारते थे "रघुनाथ" सीताजी पुकारती थीं "नाथ" अयोध्यावासी व समस्त कालखंड पुकारते हैं "सीतापति'.. इसीलिए श्लोक बना.....
"रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेदसे,
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः"
सियावर रामचन्द्र जी की जय🙏🙏