ईश्वर सर्वभूतानां *******
एक व्यक्ति सन्त एक नाथ के पास आकर बोला "महाराज मुझे भगवत -भक्ति का सरल उपाय बताए।मै आपके पास आत्म कल्याण के लिये आया हूँ हमेशा के लिए ।
एक नाथ जी ने उससे पुछा -क्या तुम अकेले हो?या तुम ग्रह्त धर्म का पालन करते हो ? वह बोला मेरा विवाह हो चुका है ।और मैं स्त्री तथा बच्चों का त्याग करके आपके पास बडी आशा लेकर आया हूँ।
क्या तुम्हारी पत्नी ने तुम्हें अनुमति दी है?वह बोला जी वह तो नींद मे बेखबर सौ रही थी ,मै भागकर निकल आया हूँ,।एक नाथ जी ने पुछा और बच्चे ? वह बोला बच्चे तो सो रहे थे,लेकिन मेरा धक्का लगने से छोटा बच्चा रोने लग गया मै छिप गया।मगर पत्नी ने आखौ बन्द किए ही उसे छाती से लगा लिया।मै चुपचाप वहां से निकल आया।मुझे शक था मेरी पत्नी अगर जाग गई ।मेरा भाग निकालना सम्भव न होगा।महाराज मैंने धर-ग्रह्स्ति त्याग दी है।और भगवान की सेवा करना चाहता हूँ।
एक नाथ जी बोले- मुर्ख जिस भगवान की सेवा करने की इच्छा से तु यहां आया है ,वह तो तेरे धर मे ही है और तूने त्याग दिया ।अरे भगवान तो घट -घट मे बसे है,जब तु अपने घर के भगवान की सेवा नहीं करेगा,तेरा उध्दार केसे होगा।अरे मुर्ख त्याग आदमीयो लोगों का नहीं ।मन के विकारों का करना है ।तब प्रभु प्रसन्न होगे।वह व्यक्ति चुपचाप घर को वापसी लोट आया ।।
विशेष,,,,,,, *ईश्वर सर्व भूताना* यानी परमात्मा हर प्राणी में अंश रूप में विद्यमान हैं अतः प्राणियों की सेवा ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है l
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_*■ श्री कृष्ण स्तुति ■...*_
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_*कस्तुरी तिलकम ललाटपटले,*_
_*वक्षस्थले कौस्तुभम l*_
*_नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले,_*
*_वेणु कर कंकणम l_*
*_सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम,_*
*_कण्ठे च मुक्तावलि l_*
*_गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयेत,_*
*_गोपाल चूड़ामणि ll
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘मैं अपने ऐसे चमत्कारी 28 नाम बताता हूँ जिनका जप करने से मनुष्य के शरीर में पाप नहीं रह पाता है । वह मनुष्य एक करोड़ गो-दान, एक सौ अश्वमेध-यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है । अमावस्या, पूर्णिमा तथा एकादशी तिथि को और प्रतिदिन प्रात:, मध्याह्न व सायंकाल इन नामों का स्मरण करने या जप करने से मनुष्य सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है ।’
समस्त पापनाशक भगवान के 28 दिव्य नामों का स्तोत्र (श्रीविष्णोरष्टाविंशति नाम स्तोत्रम् )
अर्जुन उवाच !!!!!!!
किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन: ।
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव ।।
श्रीभगवानुवाच!!!!!!!
मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।
पद्मनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।
गोवर्धनं हृषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।
विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।
दामोदरं श्रीधरं च वेदांगं गरुणध्वजम् ।।
अनन्तं कृष्णगोपालं जपतोनास्ति पातकम् ।
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ।।
भगवान श्रीकृष्ण के 28 दिव्य नाम (हिन्दी में)
मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन
जनार्दन, गोविन्द, पुण्डरीकाक्ष, माधव
मधुसूदन, पद्मनाभ, सहस्त्राक्ष, वनमाली
हलायुध, गोवर्धन, हृषीकेश, वैकुण्ठ
पुरुषोत्तम, विश्वरूप, वासुदेव, राम
नारायण, हरि, दामोदर, श्रीधर
वेदांग, गरुड़ध्वज, अनन्त, कृष्णगोपाल
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